एक अध्यापक थे उन्होंने कई सारी डिग्रियां प्राप्त कर रखी थी उनको अपने- पढ़े लिखे होने का तथा अपनी डिग्रियों पर बहुत ही घमंड था
वे उन लोगों से सख्त नफरत करते थे जो पढ़े-लिखे नहीं थे और हमेशा उनका उपहास करते रहते थे उनका मानना था कि जीवन जीने के लिए पढ़े-लिखे होना जरूरी है
एक बार कहीं यात्रा पर जा रहे थे रास्ते में एक नदी थी और उनको उस नदी को पार करके जाना था इसलिए उन्होंने एक नाव पर बैठकर नदी पार करने का निश्चय लिया उन्होंने नाव पर बैठ लिया नदी काफी लंबी थी अतः उन्होंने सोचा क्यों ना हम इस नाविक से कुछ सवाल पूछते हैं ऐसा करने से समय भी बीत जाएगा और नदी भी पार हो जाएगी उन्होंने नाविक से पूछा क्या तुम्हें पढ़ना लिखना आता है
नाविक बोला नहीं श्रीमान जी मुझे पढ़ना और लिखना नहीं आता है वे उसका उपहास उड़ाते हुए कहते हैं जब तुझे पढ़ना और लिखना नहीं आता है तब तो तेरा आधा जीवन बेकार है नाविक सब कुछ सहन करता गया कुछ दूरी और चलने के बाद नदी में अचानक बाढ़ आ गई अब कहने की बारी नाविक की थी नाविक ने गुरुजी से पूछा कि क्या आप तैरना जानते हैं गुरुजी ने कहा नहीं इस पर नाविक ने कहा तब तो आपका सारा जीवन बेकार है नदी में बाढ़ आ चुकी है और मैं जा रहा हूं इतना कहकर नाविक नदी में कूद जाता है और तैरता हुआ चला जाता है
जीवन भी इसी तरह है यह जरूरी नहीं कि हर पढ़ा-लिखा व्यक्ति या हर अनपढ़ व्यक्ति हर एक काम में अच्छा ही हो व्यक्ति का हुनर निश्चय करता है कि व्यक्ति किस तरह का काम कर सकता है कुछ बिना पढ़े लिखे लोग भी जीवन में ज्यादा सफल हो जाते हैं और इसी सफलता को हुनर कहते हैं
